लाल ही लाल ये दुनिया, रे मूसक तु हि बता रे ।
कौन सा ठौर है ऐसौ, जहॉं नहिं लाल बसा रे ।।
फिरते मारे क्यों है ? बनती नहिं कोई बात ।
धन के पिछे भागे क्यों है ? सह के हर हालात ।।
कहीं किसी के साथ, जनम तक सात दिया रे ।
लाल ही लाल ये दुनिया, रे मूसक तु हिं बता रे ।।
प्यासी ऑंखे सबकी, दरस पाने को तेरे ।
आ कर नैनो मे वास, मिट जायें सभी अँधेरे ।।
तुम रहो दूर न लाल, करो सब माफ खता रे ।
लाल हि लाल ये दुनिया, रे मूसक तु हि बता रे ।।
लाली मेरे लाल की, जित देखूँ तित लाल ।
लाली देखन मैं चली, तो मै भी हो गई लाल ।।
लाल ही लाल ये दुनिया....
बहुत सुन्दर रचना शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंलाली मेरे लाल की, जित देखूँ तित लाल ।
जवाब देंहटाएंलाली देखन मैं चली, तो मै भी हो गई लाल ।
bahut khoob.......