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सोमवार, 28 दिसंबर 2009

भक्ति ज्ञान सरिता-2

जन लो, सदगुण को आधार ।
जग रहि सब दिन अवगुन कीन्‍हा, अब तो सोच विचार ।।

छोड कुसंगत करि सत्‍संगत, गुन लहु सबहि प्रकार ।
तहि जानिहों असली ज्ञानी, बुरे कर्म तजि डार ।।

चल सुमार्ग लखि लक्ष्‍य आपुना, पथ करि दे उजियार ।
चन्‍द्रभानु निज किरनन से कर, दूजन को उपकार ।।

जन लो सदगुण को आधार ....

रचनाकार डॉं चन्‍द्रभान गुप्‍ता

रविवार, 27 दिसंबर 2009

भक्ति ज्ञान सरिता

मार्ग चलत मोहि मिल गए ज्ञानी ।
उन प्रभाव ते मम कठोर उर, होगयो पानी पानी ।।

ज्ञानी गुरू मम भये, और मै उनको शिष सानी ।
दीप ज्ञान को मिलो, दियो तेज बड दानी ।।

मै, नहिं जानी, फेर हुआ का मम जीवन प्रभु जानी ।
जीवन बदलो, स्‍वंय बदल गयो, ध्‍यान रही गुरू बानी ।1

बढते पथ पर जायें सदा, अनध पडें अज्ञानी ।
चन्‍द्र भानु बिन सदगुरू दीपक, सत्‍पथ तुम्‍हें न पानी ।।

मार्ग चलत मोहि मिल गये ज्ञानी ....

द्वारा- डॉं चन्‍द्रभान गुप्‍ता