करहु कृपा करूणा के सागर ।
दीन दयाला दु:ख हर्ता, सफल गणों के आगर ।।
तुम अनाथ के नाथ, आपहि अब मोहि देऊ ।
बिन माझी नइया मोरी अटकी, रेत बीच कस खेऊ ।।
कृपा सिन्धु बाढहु जल लेकर, बिन जल नहि स्नेहू ।
चन्द्रभानु चालक जल पावें, दूसर कोई न गेहू ।।
धन्य भयो जीवन मेरो, तुम्हरे दर्शन पाकर ।
करहु कृपा करूणा के सागर ......
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