मॉ ममता महान हम जानी ।
सेवत सहि दु:ख शिशु आपुनो, कबहुँ नाहि उकतानी ।।
ऐसो प्रेम देत कौन भला, दीन्हों मॉं सहि हानी ।
कोई बडो न मातृ पूजा से, कह गए अस सब ज्ञानी ।।
मातृ ममत्व, सुत सुकृन्त ते, सदगुन सबही गानी ।
चन्द्रभानु एक सपूत ही, धर उजियारा लानी ।।
मॉं ममता महान हम जानी ......
आशा कभी न करना प्यारे ।
कभी हंसाये, कभी रूलाये, बिना अग्नि तन जारे ।।
आशा ष्याम की गोपिन्ह कीन्ही, सुधि लीन्हों फिर ना रे ।
अंत माहि प्रेम बट सुख्यों, बिन पानी के डारे ।।
बन निराशहु काम चले नहिं, धर ज्यों बनैं न गारें ।
आशा एक प्रभु की करना, नहिं निराश होना रे ।।
चन्द्रभानु आशा ज्योति जले, तब पूरन फल खा रे ।
आशा कभी न करना प्यारे ....
मन अवसर बीते रायेगा ।
जो करना है अबही करते, नहि फिर जीवन खोयेगा ।।
काल चाल बढती ही जाये, अन्त पडा तू सोयेगा ।
बाते साथ समय के चल पड, होना है जो होयेगा ।।
कठिन काज सफल बनेगें, जब कृपा दृष्टि पा लेगा ।
चन्द्रभानु कौन भला अब, तेरी राह रोकेगा ।
मन अवसर बीते रायेगा ...
इष्ट देव श्री बागेश्वर बाबा की स्थापना
10 वर्ष पहले
बहुत अच्छी लगी आपकी रचना। बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर व दिल को छू लेने वाली रचना लगी । बधाई
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