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गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010

कार्य सिद्धि के लिए करें देव परिक्रमा

Ankita
मंदिरों में अकसर कई लोगों को परिक्रमा करते देखा जा सकता है । विभिन्‍न पर्वों पर महिलाऍं वट वृक्ष की परिक्रमा करती है । आइए जाने परिक्रमा करने का सही तरीका क्‍या है ।


अपनी-अपनी आस्‍था के अनुसार देव दर्शन प्रेरणास्‍पद और ऊर्जादायी है । मंदिर का वास्‍तु ही ऐसा होता है और अपनी समस्‍याओं के समाधान का मार्ग निकल जाता है ।


1. मंदिर में परिक्रमा को निर्धारित क्रम से ही करना चाहिए । विष्‍णु जी का मंदिर हो तो चार बार परिक्रमा करें और इस दौरान विष्‍णु मंत्र का ध्‍यान व उच्‍चारण करतें जाऍं । यह किसी संकल्‍प को पुष्‍ट करता है ।

2. शिव जी के मंदिर की आधी परिक्रमा करे और लौट जाऍं । इस दौरान शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप करें । इससें मन में आने वाले बुरे ख्‍यालों, बुरे सपनों पर रोक लगती है ।

3. देवी के मंदिर की परिक्रमा करनी हो तो एक परिक्रमा ही करें और नर्वाण मंत्र का ध्‍यान करें । इससे अपने लक्ष्‍य और संकल्‍प को निश्चित ही बल मिलता है ।

4. यदि सूर्य के मंदिर की परिक्रमा पूरी करें और सूर्य मंत्र का ध्‍यान करें । इससे मन में आ रहे कलुषित विचारों पर अंकुश लगता है और सकारात्‍मक विचार भर जाते है ।


5. अपनी कामनाओं की सिद्धि के लिए गणेश मंदिर की परिक्रमा करें । गणेश जी की तीन परिक्रमा जरूरी हैं । इसमें गणेश जी के स्‍वरूप व मंत्र का ध्‍यान करें । कोई भी कार्य सिद्ध करना हो तो पहले परिक्रमा कर आऍं, तत्‍काल और कम प्रयास से ही सफलता मिलेगी ।

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