
अंको का अविष्कार ३०७ ई. पूर्व भारत में हुआ ।
शून्य का अविष्कार भारत में ब्रह्मगुप्त ने किया ।
अंकगणित का अविष्कार २०० ई. पूर्व भास्कराचार्य ने किया ।
बीज गणित का अविष्कार भारत में आर्यभट्ट ने किया ।
सर्वप्रथम ग्रहों की गणना आर्यभट्ट ने ४९९ ई. पूर्व में की ।
भारतीयों को त्रिकोणमिति व रेखागणित का २,५०० ई.पूर्व से ज्ञान था ।
समय और काल की गणना करने वाला विश्व का पहला कैलेन्डर भारत में लतादेव ने ५०५ ई. पूर्व सूर्य सिद्धान्त नामक अपनी पुस्तक में वर्णित किया ।
ड्य न्यूटन से भी पहले गुरूत्वाकर्षण का सिद्धान्त भारत में भास्कराचार्य ने प्रतिपादित किया ।
३,००० ई. पूर्व लोहे के प्रयोग के प्रभाव वेदों में वर्षित है । अशोक स्तम्भ इसका स्पष्ट प्रमाण है ।
लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस् के अनुसार ४०० ई. पूर्व सुश्रूत (भारतीय चिकित्सक) द्वारा सर्वप्रथम प्लास्टिक सर्जरी का प्रयोग किया गया ।
विश्व का पहला विश्वविद्यालय तक्षशिला के रूप में ७०० ई. पूर्व भारत में स्थापित था जहाँ दुनिया भर के १०,५०० विद्यार्थी ६० विषयों का अध्ययन करते थे ।
बारुद की खोज ८,००० ई. पूर्व सर्वप्रथम भारत में हुई ।
सूर्य से पृथ्वी पर पहुंचने वाले प्रकाश की गति की गणना सर्वप्रथम भास्कराचार्य ने की ।
यूरोपिय गणितज्ञों से पूर्व ही छठी शताब्दी में बोद्धायन ने पाई के मान की गणना की जो की पाइथोगोरस प्रमेय के रूप में जाना जाता है ।
हमारा ज्ञान-विज्ञान एवं इतिहास इतना गौरवशाली एवं समृद्ध है । प्रत्येक भारतीय को इसकी जानकारी अवश्य होनी चाहिये।
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